सोच रहा हुँ थोड़ा बदल के देखूँ फर्ज़ की क़ैद से निकल के देखूँ। सोच रहा हुँ थोड़ा बदल के देखूँ फर्ज़ की क़ैद से निकल के देखूँ।
यह ज़िन्दगी है कई रंग दिखलायेगी । यह ज़िन्दगी है कई रंग दिखलायेगी ।
ये सारे हिमखंड पिघल कर बरबस हमें डुबाएंगे, डरता हूँ,हम ना संभले तो कल को क्या समझायेंगे ये सारे हिमखंड पिघल कर बरबस हमें डुबाएंगे, डरता हूँ,हम ना संभले तो कल को क्या स...
चाय होने के लिए मुझे, तुममें घुलना पड़ेगा ! चाय होने के लिए मुझे, तुममें घुलना पड़ेगा !
क्या पता कब आखिरी पल जियो तुम ! क्या पता कब आखिरी पल जियो तुम !